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अयोध्या का इतिहास

उल्लेख ऊपर हो चुका। उसके वर्णन से यह विदित है कि हुआनच्वांग की यात्रा के समय अयोध्या में बौद्धमत फैला हुआ था। इस यात्री के प्रभाव से हर्षवर्धन बौद्ध हो गया था, परन्तु गुप्तों के जाने पर अयोध्या में जो परिवर्तन हुआ, वह चटपट नष्ट कैसे हो सकता था। हमारा अनुमान यह है गुप्तवंश के अन्तिम राजा पर वसुबन्धु का जो प्रभाव पड़ा वह डेढ़ सौ बरस तक स्थिर रहा।

इसके पीछे ईसवी सन की दसवीं शताब्दी के अन्त और ग्यारहवीं शताब्दी के आदि में फिर सुना जाता है कि अयोध्या में बौद्धधर्मावलम्बी शासक था। वङ्गाल, बिहार और अवध पाल-साम्राज्य के अन्तर्गत थे और पाल राजा बौद्ध थे। अन्तिम राजा का नाम महीपाल था। ग्यारहवीं शताब्दी के आदि में एक बड़ी राज्यक्रान्ति हुई। बिहार महीपाल के उत्तराधिकारियों के अधिकार में बौद्धधर्मावलम्बी रह गया और महीपाल के पुत्र चन्द्रदेव के शासन में अवध में ब्राह्मणधर्म स्थापित हो गया जैसा कि आजतक है।