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अयोध्या का इतिहास


परिहार—आठवीं शताब्दी में अयोध्या कन्नौज के परिहारों के शासन में चली गई। परिहारों का राज कन्नौज से १६० मील उत्तर श्रावस्ती से काठियावाड़ तक और कुरुक्षेत्र से बनारस तक फैला हुआ था। इस वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा भोजदेव हुआ जिसे आदिवराह भी कहते हैं। यह परमारवंशी राजा भोज से भिन्न था और इसने ई० ८४० से ८९० तक पचास बरस राज किया। सुलतान महमूद ग़ज़नवी की चढ़ाई के समय कन्नौज में परिहार राजा राज्यपाल राज करता था। [१] ई० १०१५ में चन्द्रदेव गहरवार ने परिहारों को परास्त कर दिया । परिहार वंश के पतन पर गड़बड़ मच गया। उन्हीं दिनों सैय्यद सालार मसऊद गाजी ने


  1. इसी राजा ने हारमान कर महमूद को कर (खिराज) देना स्वीकार किया जो शिलालेखों में तुरुकदर कहलाता है।