अयोध्या का इतिहास
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पहिला अध्याय।
अयोध्या की महिमा।
अयोध्या जिसे अवध और साकेत भी कहते हैं अत्यन्त प्राचीन नगर है। यह पहिले उत्तरकोशल की राजधानी थी जिसमें "सुख समृद्धि के साथ हिन्दू लोग जिस वस्तु की आकांक्षा करते या जिसका आदर सम्मान करते हैं वह सब प्राप्त हो चुका था जैसा कि अब मिलना असम्भव है और जो उस तेजधारी राजवंश का निवास स्थान था जो सूर्यदेव से उत्पन्न हुआ और जिसमें ६० निर्दोष शासकों के पीछे मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र का अवतार हुआ। इस वीर को ऐतिहासिक समालोचना पीछे से मनुष्य की कल्पना का सर्वोत्तम निसर्ग सिद्ध करे या अर्द्धऐतिहासिक स्थान दे, इस पर विचार करना व्यर्थ है। इतिहास का उस प्रभाव से सम्बन्ध है जो इनके चरित्र का इस बड़ी आर्यजाति के सामाजिक और धार्मिक विश्वास पर है और इतिहास यह भी देखता है कि इनकी जन्म-भूमि की यात्रा को बड़ी श्रद्धा और भक्ति से यात्रियों की ऐसी भीड़ आती है, जैसे किसी दूसरे तीर्थ में नहीं।"[१]
अयोध्या का नाम सात तीर्थो में सब से पहले आया है:—
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः॥
- ↑ Oudh Gazetteer, Introduction, page xxxi.