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पन्द्रहवाँ अध्याय।
अयोध्या के शाकद्वीपी राजा।[१]

अयोध्या का इतिहास बिना शाकद्वीपी राजाओं के वर्णन के अपूर्ण रहेगा। तीस वर्ष हुये श्रीमान् महाराजा प्रतापनारायण सिंह बहादुर के॰ से॰ आई॰ ई॰ अयोध्यानरेश ने हम से अपने वंश का इतिहास लिखने के लिये कहा था और उसके लिये कुछ सामग्री भी दी थी। फै़जाबाद के भूतपूर्व कमिश्नर कोर्नगी साहेब ने अंगरेज़ी में एक हिस्ट्री अव अयोध्या ऐण्ड फै़जाबाद (History of Ajodhya and Fyzabad) लिखी थी जिसके एक अंश की नक़ल हमारे पास है। उन्हीं के आधार पर यह संक्षिप्त इतिहास लिखा जाता है।

शाकद्वीपियों की उत्पत्ति

शाम्ब-पुराण अध्याय ३८ में लिखा है:—

शाकद्वीपाधिपः पूर्वमासीद्राजा प्रतर्द्दनः।
स सदेहो रविं गन्तुञ्चकमे भूरिदक्षिणः॥
विप्रास्तम् प्राहुरीशानन्न सदेहो गमिष्यसि।
सौरयज्ञं वयं कर्त्तुन्नक्षमाः सर्वकामिकम्॥
तपस्तेपे नृपस्तीव्रं वर्षाणाञ्च शतत्रयम्।
ततः प्रसन्नो भगवानाह भूपं वरार्थिनम्॥
वरं वरय भूपाल, किंतेऽभीष्टं ददामि तत्।
सौरयज्ञं करिष्यामि याजकाः सन्ति नैव मे॥


  1. यह प्रसंग महाराजा त्रिलोकीनाथसिंह जी के लिखाये इतिहास के आधार पर लिखा गया है जो हमें महाराजा प्रतापनारायणसिंह जी से मिला था।