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अयोध्या में शाकद्वीपी राजा
परन्तु मेरे भाग्य में न था कि उनकी सेवा करता। पेंशन की प्रतीक्षा करता रहा। इतने में गुणग्राही महाराजा साहेब ने अयोध्यावास लिया। महाराजा साहेब का रचा हुआ रसकुसुमाकर ग्रन्थ उनके साहित्याज्ञान का नमूना है।
महामहोपाध्याय सर महाराजा प्रतापनारायण बहादुर के॰ सी॰ आई॰ ई॰ के देहावसान पर उनकी दूसरी पत्नी श्रीमती महारानी जगदम्बा देवी उनकी उत्तराधिकारिणी हुई। उन्होंने महाराज के वसियतनामे के "रू" से राजा इंचासिंह के कुल से लाल जगदम्बिका प्रतापसिंह को गोद लिया परन्तु महारानी साहेब के जीते जी वे केवल नाममात्र के राजा हैं।