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अयोध्या के सोलङ्की राजा

तस्मादायुरयुषो नहुषः ततो य (या) तिश्चक्र-
वर्ती वंशकर्ता ततः पूरुरिति चक्रवर्ती।
ततो जन्मेजयोऽश्वमेध[१] त्रितयस्य कर्ता,
ततः प्राचिश[२] स्तस्मात् सैन्ययातिः[३] ततो।
हयपति (:) ततस्सार्वभो (भौ) मस्ततो,
जयसेनः ततो महाभौमः तस्माद्देशानकः।
ततः क्रोधाननः ततो देवकिः देवके रिभुका:,
तस्माद् ऋक्षकः। ततो मतिवर [४] स्संत्र्याग।
याजी सरस्वतीनदीनाथः ततः कात्याय-
नः कात्यायनान्नीलः ततो दुष्यन्तः तत।
श्रार्यो गङ्गायमुनातीरे यद् विम्च्छन्नान्नि खाय,
यूपान् ऋमशः कृत्वा तथाश्व मेधा (म) नामा।
महाकर्म भरत इति यो लभत। ततो भरताद्भू-
मात्युः तस्मात् सुहोत्रः ततो [५] हस्ती ततो।
विरोचनः तम्मादजामिलः ततस्संवरणः,
तस्य च तपनसुताया तपत्याश्च सुधन्वा।
ततः परीक्षित् ततो भीसलेनः ततः प्रदी-
पनः तस्माच्छान्तनुः ततो विचित्रवीर्यः।
ततः पाण्डुराजः ततः आर्यापुत्रास्तस्य,
धर्मराज भीमार्जुन नकुल सहदेवाः पञ्चेन्द्रियवत्।


  1. जन्मेजय प्रथम।
  2. प्राचिन्वत और वंशावली के अनुसार।
  3. आगे के अनेक नाम और वंशावलियों में नहीं हैं।
  4. मतिनर।
  5. अभिमन्यु की जगह भूमन्यु कहीं कहीं है।