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पृष्ठ:अयोध्या का इतिहास.pdf/२८८

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उपसंहार (ध)
ओयूटो (अयोध्या)[]

इस राज्य का क्षेत्रफल ५००० ली और राजधानी का क्षेत्रफल २० ली है। यहां पर अन्न बहुत उत्पन्न होता है तथा सब प्रकार के फल-फूलों की अधिकता है। प्रकृति कोमल तथा सह्य और मनुष्यों का आचरण शुद्ध और सुशील है। यहां के लोग धार्मिक कृत्य से बड़ा प्रेम रखते हैं, तथा विद्याभ्यास में विशेष परिश्रम करते हैं। सम्पूर्ण देश भर में कोई १०० संघाराम और ३०० साधु हैं, जो हीनयान और महायान दोनों सम्प्रदायों की पुस्तकों का अध्ययन करते हैं। कोई दस देवमन्दिर हैं जिनमें अनेक पंथों के अनुयायी (बौद्धधर्म के विरोधी) निवास करते हैं, परन्तु उनकी संख्या थोड़ी है।

राजधानी में एक प्राचीन संघाराम है। यह वह स्थान है जहां पर वसुवंधु बोधिसत्व ने कई वर्ष के कठिन परिश्रम से अनेक शास्त्र, हीनयान और महायान दोनों सम्प्रदाय-विषयक निर्माण किये थे। इसके पास ही कुछ उजड़ी पुजड़ी दीवारें अब तक वर्तमान हैं। ये दीवारें उस मकान की हैं जिसमें वसुवन्धु बोधिसत्व ने धर्म के सिद्धान्तों को प्रकट किया था तथा अनेक देश के राजाओं, बड़े आदमियों, श्रमणों और ब्राह्मणों के उपकार के निमित्त धर्मोपदेश किया था।

नगर के उत्तर ४० ली दूर गङ्गा[] के किनारे एक बड़ा संघाराम है जिसके भीतर अशोक राजा का बनवाया हुआ एक स्तूप २०० फीट ऊंचा है। यह वह स्थान है जहां पर तथागत भगवान ने देवसमाज के


  1. इंडियन प्रेस प्रकाशित "हूआन च्वांग" से प्रेस के अध्यक्ष की प्राज्ञा से उद्धृत।
  2. यह भ्रम है। सरयू होना चाहिये जिसे वैष्णव रामगंगा कहते हैं।