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चौथा अध्याय
आजकल की अयोध्या।

अंगरेज़ी राज्य में अयोध्या पाँच छः हज़ार की आबादी का एक छोटा सा नगर सरयू नदी के बायें तट पर बसा है। इसका अक्षांश २६° २७′ उत्तर और देशान्तर लन्दन से ८२° १५′ पूर्व और बनारस से ७′ ३०″ पश्चिम है। परन्तु धार्मिक विचार से फ़ैज़ाबाद के अतिरिक्त और कई गाँव भी इसी के अन्तर्गत हैं। यह बात परिक्रमा से सिद्ध होती है जो किसी नगर की सीमा जानने के लिये सबसे उत्तम प्रमाण है।

यह परिक्रमा कार्तिक सुदी नवमी को की जाती है और सरयू के किनारे पर स्वर्गद्वार से आरम्भ होती है। यद्यपि परिक्रमा और कहीं से भी आरम्भ की जा सकती है, किन्तु जहाँ से आरम्भ की जाय वहीं अन्त होना चाहिये। स्वर्गद्वार से चल कर नदी के किनारे किनारे यात्री सात मील तक जाता है और वहाँ से मुड़ कर शाहनिवाजपूर और मुकारमनगर[१] में से होता हुआ दर्शननगर में सूर्यकुण्ड पर ठहरता है। यह दर्शननगर बाजार के पास राजा दर्शन सिंह का बनाया हुआ सूर्य भगवान का सुन्दर सरोवर है। दर्शननगर से वह पश्चिम की ओर कोसाहा, मिर्ज़ापूर और बीकापूर से होता हुआ जनौरा को जाता है जो फ़ैज़ाबाद–सुल्तानपूर सड़क पर है।

यह गाँव अयोध्या से दक्षिण–पश्चिम में ७ मील पर और फ़ैज़ाबाद से दक्षिण की ओर १ मील पर है। इस गाँव में एक पक्का सरोवर है जिसे गिरिजाकुण्ड कहते हैं और एक शिवमन्दिर है। यह अयोध्या में एक पवित्र स्थान माना जाता है और बहुत से यात्री यहाँ प्रतिवर्ष कार्तिक में परिक्रमा करते हुये पूजा करने जाते हैं।


  1. इसका नाम नक़शे में मुहतरिमनगर है।