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पाँचवाँ अध्याय।
अयोध्या के आदिम निवासी।

अयोध्या या कोशलराज के आदिम निवासी कौन थे इसका पता नहीं लगता। पुरातत्व-विज्ञान और जनश्रुति दोनों इस विषय में चुप है। वाल्मीकीय रामायरण और पुराणों से विदित है कि इस पृथ्वी के पहिले राजा मनु वैवस्वत थे।[१] उनके पुत्र इक्ष्वाकु से सूर्यवंश चला और उनकी बेटी इला से चन्द्रवंश की उत्पत्ति हुई। मनु ने अपने पुत्र इक्ष्वाकु के लिये अयोध्या नगरी बसाई[२] और उसे कोशला की राजधानी बनाकर इक्ष्वाकु को उसका राजा बनाया। इक्ष्वाकु के वंशजों ने भारतवर्ष के भिन्न भिन्न प्रान्तों में अनेक राज्य स्थापित किये। परन्तु इक्ष्वाकु की प्रजा कौन थी? यह कौन मानेगा कि प्रजा भी इक्ष्वाकुवंश की रही। पाश्चात्य विद्वान इस देश के मूल निवासियों को द्रविड़ कहते हैं। परन्तु डाक्टर विन्सेण्ट स्मिथ ने अपनी अर्ली हिस्ट्री आफ़ इण्डिया (Early History of India) के पृष्ठ ४१३ में लिखा है कि द्रविड़ शब्द बड़ा ही भ्रमोत्पादक है। इस में सन्देह नहीं कि इस देश में कुछ ऐसे लोग भी रहते थे जो ढोर डंगर पालते थे। हम लोग पुराणों और वेदों में देवों और असुरों का निरन्तर संग्राम पढ़ते हैं। भारत के आर्य कभी लोहू के प्यासे न थे और न उनके साथ ऐसे संक्राम रोग चलते थे जिन से विजित लोग नष्ट हो जाते थे और आप बचे रहते थे। मूल निवासी दबा दिये गये परन्तु जो


  1. वैषस्वतो मनुर्नाम माननीयो मनीषिणाम्।
    आसीन्महीभृतामाद्यः प्रणवश्छन्दसामित्र॥ (रघुवंश सर्ग १)

  2. अयोध्या नाम नगरी तत्रासील्लोकविश्रुता।
    मनुना मानवेन्देश सा पुरी निर्मिता स्वयम्॥ (वा॰ रा॰ बालकांड)