पृष्ठ:अयोध्या का इतिहास.pdf/८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५८
अयोध्या का इतिहास

बनारस और शाहजहाँपूर। पासी बड़े लड़नेवाले और प्रसिद्ध चोर हैं। पहिले पासी लोग सिपाहियों में भरती होते थे अब भी अधिकांश गाँव के चौकीदार हैं। "नवाबी में अवध के पासी तीर चलाने में बड़े सिद्धहस्त थे और सौ गज का निशाना मार लेते थे। किसी प्रकार की चोरी या डकैती ऐसी नहीं जो वे न करते हों।" पासियों में एक वर्ग रज़पासी है जिसके नाम ही से प्रकट है कि यह लोग पहिले राजा थे।

ऐसी ही एक जाति थारू की है। थारू आजकल तराई में रहते हैं जहाँ कदाचित क्षत्रियों के डर के मारे जाकर बसे हैं। थारू मांस खाते मद्य पीते फिर भी बड़े डरपोक होते हैं। जिन बनों में थारू बस गये हैं वहाँ की आब-हवा मैदान के रहनेवालों के लिये प्राणघातक हैं। यद्यपि थारू यहाँ सुख से रहते हैं तो भी इनका स्वास्थ्य देखने से यह अनुमान किया जाता है कि तगई की आब-हवा ने इन्हें ऐसा दुर्बल कर दिया है।

इनके अतिरिक्त कितनी पुरानी जातियाँ आर्यों के बीच में रहकर उनसे मिलजुल गयी हैं।