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पुराणों में अयोध्या

अपनी पुरानी प्रतिष्ठा के योग्य कोई काम नहीं कर दिखाया जिसका कारण कदाचित् यही हो सकता है कि जरासन्ध से कुछ दब गया था।

बेण्टली साहेब ने ग्रहमंजरी के अनुसार जो गणना की है उससे इस वंश का आरम्भ ई॰ पू॰ २२०४ में होना निकलता है। मनु सूर्यवंश और चन्द्रवंश दोनों के मूल-पुरुष थे। सूर्यवंश उनके पुत्र इक्ष्वाकु से चला और चन्द्रवंश उनकी बेटी इला से। मनु ने अयोध्या नगर बसाया और कोशल की सीमा नियत करके इक्ष्वाकु को दे दिया। इक्ष्वाकु उत्तर भारत के अधिकांश का स्वामी था क्योंकि उसके एक पुत्र निमि ने विदेह जाकर मिथिलाराज स्थापित किया दूसरे दिष्ट या नेदिष्ट ने गण्डक नदी पर विशाला राजधानी बनाई। प्रसिद्ध इतिहासकार डंकर ने महाभारत की चार तारीख़ें मानी हैं, ई॰ पू॰ १३००, ई॰ पू॰ ११७५, ई॰ पू॰ १२०० और ई॰ पू॰ १४१८, परन्तु पार्जिटर उनसे सहमत नहीं हैं और कहते हैं कि महाभारत का समय ई॰ पू॰ १००० है। उनका कहना है कि अयुष, नहुष और ययाति के नाम ऋग्वेद में आये हैं; ये ई॰ पू॰ २३०० से पहिले के नहीं हो सकते। रायल एशियाटिक सोसाइटी के ई॰ १९१० के जर्नल में जो नामावली दी है उनके अनुसार चन्द्रवंश का अयुष, सूर्यवंश के शशाद का समकालीन हो सकता है और ययाति अनेनस् का। पाजिटर महाशय का अनुमान बेण्टली के अनुमान से मिलता जुलता है। परन्तु महाभारत का समय अब तक निश्चित नहीं हुआ। राय बहादुर श्रीशचन्द्र विद्यार्णव ने "डेट अव महाभारत वार" (Date of Mahabharata War) शीर्षक लेख में इस प्रश्न पर विचार किया है और उनका अनुमान यह है कि महाभारत ईसा से उन्नीस सौ बरस पहिले हुआ था।

अब हम सूर्यवंशी राजाओं के नाम गिनाकर उनमें जो प्रसिद्ध हुये उनका संक्षिप्त वृत्तान्त लिखते हैं।