पृष्ठ:अर्थशास्त्र शब्दावली.pdf/६

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बात का ध्यान रखा गया है कि अधिकतम प्रचलित और उपयुज शन्द ही लिये जायें। अगरेजी के जो शब्द हिन्दी में ज्यों के त्यो प्रचलित हो गये हैं, उन्हें उसी रूप में रहने दिया गया है। जिन शब्दों की रचना की गयी है,उनके विषय में यह विचार रखा गया है कि ऐसे हो कि हिन्दी के अतिरिक्ष यथा-सम्भव अन्य भारतीय भाषाओं में भी व्यबहत हो सकें। संस्कृत के यथा-शक्ति सरल शब्द ही लिये गये है। सम्भव है कि जो शब्द गढ़े गये हैं, उनमें से कुछ कतिपय पाठकों को पसन्द न हो। ऐसे महानुभावो को जिन शब्दों के स्थान पर दूसरे उनसे अच्छे शब्द ज्ञात हो, उनको वे कृपा कर हमें सूचना दें जिससे इस पुस्तक के अगले संस्करया मे यथा सम्भव सुधार

किया जाय। इस संस्करण की विशेषाताए थे हैं:-

(१) इसमें बहुत से शब्द नये बढाये गये हैं। कुछ कम आवश्यक शब्द निकाल भी दिये गये है, तथापि कुल मिलाकर यह संस्करण पहले से बहुत बढ़ गया है।

(२) जिन अंगरेजी शब्दों का हिन्दी पर्यायवाची शब्द अस्पष्ट प्रतीत हुआ, उनमें से बहुतों को संक्षिप्त व्याख्या भी साथ में, कोष्टक में दे दी गयी है।

(३)कुछ शब्दों का हिन्दी के अतिरिक्त अन्य (प्रान्तीय) भाषाओं का पर्यायवाची शब्द भी दे दिया गया है। ऐसा करते