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अहङ्कार

मौलिक पवित्रता लाम कर सको? कौन मुझे मर्दन की निर्मल धारा में परिवर्तित कर देगा जिसकी लहरों का स्पर्श तुम्हे अनन्त सौन्दर्य से विभूषित कर दे।

थायस का क्रोध शान्त हो गया।

उसने सोचा-'यह पुरुष अनन्त जीवन के रहस्यों से परिचित है, और जो कुछ वह कहता है उसमें ऋषिवाक्यों की-सी प्रतिमा है। यह अवश्य कोई कीमियागर है और ऐसे गुप्त मंत्र जानता है जो जीर्णावस्था का निवारण कर सकती है। उसने अपनी देह को उसकी इच्छाओं को समर्पित करने का निश्चय कर लिया। वह एक सशक पक्षी की भांति कई कदम पीछे हट गई और अपने पलंग की पट्टी पर बैठकर उसकी प्रतीक्षा करने लगी। उसकी

आँखें झुकी हुई थी और लम्बी पलकों की मलिन छाया कपोलों पर पड़ रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि कोई बालक नदी तट के किनारे बैठा हुआ किसी विचार मे मग्न है।।

किन्तु पापनाशी केवल उसकी ओर टकटकी लगाये ताकता रहा, अपनी जगह से जो भर भी न हिला। उसकी घुटनियाँ थरथरा रही थीं और मालूम होता था कि वे उसे संभाल न सकेंगी। उसका ताल सूख गया, कानों में तीव्र भनभनाहट की आवाज आने लगी। अकस्मात् उसकी आँखों के सामने अन्धकार छा गया, मानों समस्त भवन मेघाच्छादित हो गया है। उसे ऐसा 'भासित हुआ कि प्रभु मसीह ने इस स्त्री को छिपाने के निमित्त उसकी आँखों पर परदा डाल दिया है। इस गुप्त करावलम्ब से

आश्वस्थ और सशक्त होकर उसने ऐसे गम्भीर भाव से कहा जो किसी वृद्ध तपस्वी के यथायोग्य था-

क्या तुम समझती हो कि तुम्हारा यह आत्म-हनन ईश्वर की निगाहों से छिपा हुआ है।