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अहङ्कार

और वैवालिक नहीं कर सके ? आप के पास मौत की दवा है ? आप मुझे अमर जीवन दे सकते हैं ? यही सांसारिक इच्छाओं का सप्तम स्वर्ग है।

पापनाशी ने उत्तर-

दियाकामिनी, अमर जोवन लाम करना प्रत्येक प्राणी की इच्छा के आधीन है। विषय वासनाओं को त्याग दे, जो तेरी आत्मा का सर्वनाश कर रहे हैं। उस शरीर को पिशाचों के पल्ले से छुड़ा ले जिसे ईश्वर ने अपने मुँह के पानी से साना और अपनी श्वास से जिलाया, अन्यथा प्रेत और पिशाच उसे बडी क्रूरता से जलायेंगे। नित्य के विलास से तेरे जीवन का स्रोत तोण हो गया है। श्रा, और एकान्त के पविन सागर में उसे फिर प्रवाहित कर दे । आ, और मरुभूमि में छिपे हुए सोतों का जल सेवन कर जिनका उफान स्वर्ग वक पहुंचता है। ओ चिन्ताओं में डूबी हुई आत्मा! था, अपनी इच्छित वस्तु को प्राप्त कर ! ओ आनन्द की भूखी स्त्री! श्रा, और सच्चे भानन्द का पारवादन कर दरिद्रता का, विराग का, त्याग का, ईश्वर के चरणों में आत्मसमर्पण का। आ, ओस्त्री जो आज प्रभु मसीह की द्रोहिणी है, लेकिन कल उसकी प्रेयसी होगी, श्रा, उसका दर्शन कर, उसे देखते ही तू पुकार उठेगी--'मुझे प्रेमघन मिल गया!

थायस भविष्य-चिन्तन में खोई हुई थी। बोली-महात्मा, अगर मैं जीवन के सुखों को त्याग दूं और कठिन तपस्या करूँ तो क्या यह सत्य है कि मैं स्वर्ग मे फिर जन्म लूंगी और मेरे सौन्दर्य को आंच न आयेगी

पापनाशी ने कहा-थायस, मैं तेरे लिए अनन्त-जीवन का संदेश लाया हूँ। विश्वास कर, मैं जो कुछ कहता हूँ, सर्वथा सत्य है।