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अहङ्कार

घुटनों के बल बैठ गया। उसकी आँखों से भामोल्लास की ज्योति-रेखायें निकलने लगी । और थायस को उसके चेहरे पर जीते-जागते. मसीह का स्वरूप दिखाई दिया।

बह करुणाकन्दन करती हुई बोली-ओ मेरी बीती हुई बाल्यावस्था, ओ मेरे दयालु पिता अहमद ! ओ सन्त थियोडोर, मैं क्यों न तेरी गोद में उसी समय मर गई जब तू अरुणोदय के समय मुझे अपनी चादर में लपेटे लिए पाता था और मेरे शरीर से बप्तिसमा के पवित्र जल की बूंदें दपक रही थी ?

पापनाशी यह सुनकर चौंक पड़ा मानों कोई अलौकिक घटना हो गई है, और दोनों हाथ फैलाये हुए थायस की ओर यह कहते हुए बढ़ा-

भगवान, तेरी महिमा अपार है। क्या तू बनिसमा के जल से प्लावित हो चुकी है ? हे परमपिता, भक्तवत्सल प्रभु, ओ बुद्धि के अगाध सागर ! अब मुझे मालूम हुआ कि वह कौन सी शक्ति थी जो मुझे तेरे पास खींच कर लाई। अब मुझे ज्ञात हुन्मा कि वह कौनसा रहस्य था जिसने तुझे मेरी दृष्टि में इतनी सुन्दर, इतना चित्ताकर्षक बना दिया था। अब मुझे मालूम हुआ कि मैं तेरे प्रेम-पाश में क्यों इस भौति जकड़ गया था कि अपना शान्तिवास छोड़ने पर विवश हुआ। इसी बप्तिसमा-जन की महिमा थी जिसने मुझे ईश्वर के द्वार को छुड़ाकर तुझे खोजने के लिए इस विषाक्त वायु से भरे हुए ससार में थाने पर घाव्य किया जहाँ माया-मोह में फंसे हुए लोग अपना कलुषित जीवन व्यतीत करते हैं। इस पवित्र जल की एक बूंद केवल एक ही बूंद मेरे मुख पर छिड़क दी गई है जिसमे तू ने स्नान किया था। भा, मेरी प्यारी बहिन, प्रा और अपने भाई के गले लग जा जिसका हृदय 'तेरा अभिवादन करने के लिए तड़प रहा है।