पृष्ठ:अहंकार.pdf/११२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

जब थायस ने पापनाशी के साथ भोजशाला में पदार्पण किया तो मेहमान लोग पहले ही से आ चुके थे। वह गद्देदार कुरगियों पर तकिया लगाये, एक अर्धचन्द्राकार मेज़ के सामने बैठे हुए थे। मेज पर सोने, चाँदी के बरतन जगमगा रहे थे। मेज़ के बीच में एक चाँदी का थाल था जिसके चारों पायों की जगह चार परियाँ बनी हुई थीँ जो करावों में से एक प्रकार का सिरका डेल-खेलकर तली हुई मछलियों को उसमें तैरा रही थीं। थायस के अन्दर कदम रखते ही मेहमानों ने उच्चस्तर से उसकी अभ्यर्थना की

एक ने कहा-सूक्ष्म कर्त्ताओं की देवी को नमस्कार!

दूसरा बोला-उस देवी को नमस्कार जो अपनी मुखाकृति से मन के समस्त भावों को प्रगट कर सकती है!

तीसरा बोला-देवता और मनुष्यों की लाडली को सादर प्रणाम!