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अहङ्कार


चाहिए। इसके प्रतिकूल मेरा विचार है कि एक सत्यवादी पुरुप के लिए सबसे महान् इच्छा यही होनी चाहिए कि वह साम्राज्य में किसी पद पर अधिकृत हो। साम्राज्य एक महत्त्वशाली वस्तु है।

देवालय के अध्यक्ष हरमोडोरस ने उत्तर दिया-

डोरियन महाशय ने जिज्ञासा की है कि स्वदेश क्या है? मेरा उत्तर है कि देवताओं की बलिवेदी और पित्रों की समाधिस्तूप ही स्वदेशक-पर्याय हैं। नागरिकता स्मृतियों और आशाओं के समावेश से उत्पन्न होती है।

युवक एरिस्टोबोलस ने बात काटते हुए कहा-

भाई, ईश्वर जानता है आज मैंने एक सुन्दर घोड़ा देखा। डेमोफ़ून का था। उन्नत मस्तक है, छोटा मुँह और सुदृढ़ टाँगें। ऐसा गरदन उठाकर अलबेली चाल से चलता है जैसे मुर्ग़ा।

लेकिन चेरियास ने सिर हिलाकर शंका की-

'ऐसा अच्छा घोड़ा तो नहीं है एरिस्टोबोलस जैसा तुम बतलाते हो। उसके सुम पतले हैं और गामचियाँ बहुत छोटी है। चाल का सच्चा नहीं, जल्द ही सुम लेने लगेगा, लँगड़े हो जाने का भय है।

यह दोनों यही विवाद कर रहे थे कि ड्रोसियाने ज़ोर से चीत्कार किया। उसकी आँखों में पानी भर आया, और वह ज़ोर से खाँसकर बोली-

कुशल हुई नही तो यह मछली का काँटा निगल गई थी। देखो सलाई के बराबर है और उससे भी कहीं तेज। वह तो कहो मैंने जल्दी से उँगली डालकर निकाल लिया। देवताओं की मुझ पर दया है। वह मुझे अवश्य प्यार करते हैं।

निसियास ने मुसकिराकर कहा-ड्रोसिया, तुमने क्या कहा कि देवगण तुम्हें प्यार करते हैं? तब, तो वह मनुष्यों ही की