पृष्ठ:अहंकार.pdf/१३

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करता है—कहता है—'स्त्री, तू जानती है कि तेरे पापों का कितना बोझ है? यहाँ तक कि जब सूर्ख पाल सन्त एन्टोनी के प्रश्नों के उत्तर में स्वर्ग-शैय्या देखने की बात कहता है तो पापनाशी उछल पड़ता है कि कदाचित् यह शैय्या मेरे ही जिप बिछाई गई है, हालाँकि इस समय तक उसे अपने आत्मपतन का यथार्थ ज्ञान हो जाना चाहिए था।

लेकिन पापनाशी का चरित्र जितमा ही मार्मिक है, उतना ही अरसिक है। उसकी धार्मिक वितंडावों को सुनते-सुनते जी जम जाता है और उसके प्रति मन में घृणा उत्पन्न हो जाती है। इसके प्रतिकूल थायस का चरित्र जितना ही मार्मिक है उसना ही मनोहर है। फ्रांस के उपन्यासकारों में स्त्री-चरित्र की मीमांसा करने का विशेष गुण अचाटोले महाशय ने थायस के चित्रण में स्त्री मनोभाव का जैसा सूक्ष्म परिचय दिया है यह साहित्य में एक दुर्लभ वस्तु है। वह साधारण स्थिति के माता-पिता की कन्या है, पर मासुस्नेह से वंचित है। उसकी माता बड़ी गुस्सेवर, पैसों पर जाम देनेवाली स्त्री है। थायस का मन बहलानेवाला, उसले प्रेम करनेवाला हब्शी ग़ुलाम है, जिसका नाम महमद है और जो गुप्तरीति से ईसाई धर्म का अनुयायी है। अहमद थायस के बालिका हदय में ही ईसाई धर्म के प्रति श्रद्धा उत्पन्न कर देता है। यहाँ तक कि उसका बहीसमा भी करा देता है। अहमद इसके कुछ दिनों बाद, अब थायस ग्यारह वर्ष की थी मार डाला गया, और अब थायस की रक्षा करनेवाला कोई न रहा। यह उच्चकोटि की स्त्रियों को देखती तो उसकी भी बड़ी इच्छा होती कि मेरी सवारी भी इसी बार-बाट से निकलती। अन्त में एक कुटनी उसे बहका ले जाती है और थायस का जीवन-मार्ग निवित हो जाता है। अमीरों की सभाओं में नाचना गाना, ना करना उसका काम है। उसकी प्रखर-बुद्धि थोड़े ही दिनों में इस कक्षा में प्रवीण हो पाती है। तब वह अपनी जन्म-