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अहङ्कार


कहते है उसने अन्त में संसार को रचना ही आवश्यक समझा। मै आपकी बात मान लेता हूँ यद्यपि एक सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए इतना कीर्ति-लोलुप होना शोभा नहीं देता। लेकिन यह तो बताइये उसने क्योंकर सृष्टि की रचना की?

मार्कस-जो लोग ईसाई न होने पर भी, हरमोडोरस और ज़ेनाथेमीज़ की भाँति, ज्ञान के सिद्धान्तों से परिचित हैं, वह जानते है कि ईश्वर ने अकेले, बिना सहायता के सृष्टि नहीं की। उसने एक पुत्र को जन्म दिया और उसी के हाथों सृष्टि का बीजारोपण हुआ।

हरमोडोरस-मार्कस, यह सर्वथा सत्य है। यह पुत्र भिन्न-भिन्न नामों से प्रसिद्ध है, जैसे, हेरमीज़, अपोलो और ईस।

मार्कस-यह मेरे लिए कलंक की बात होगी अगर मैं उसे क्राइस्ट, ईस और उद्धारक के सिवाय और किसी नाम से याद करूँ। वही ईश्वर का सच्चा बेटा है। लेकिन वह अनादि नहीं है क्योंकि उसने जन्म धारण किया। यह तर्क करना कि जन्म से पूर्व भी उसका अस्तित्व था मिथ्यावादी नीसाई गधों का काम है।

यह कथन सुनकर पापनाशी अन्तःवेदना से विकल हो उठा। उसके माथे पर पसीने की बूँदें आ गईं। उसने सलीव का आकार बनाकर अपने चित्त को शांत किया किन्तु मुख से एक शब्द भी ना निकाला।

मार्कस ने कहा-

यह निर्विवाद सिद्ध है कि बुद्धिहीन नीसाइयों ने सर्वशक्तिमान ईश्वर को अपने करावलम्ब का इच्छुक बनाकर ईसाई-धर्म को कलंकित और अपमानित किया है। यह एक है, अखंड है। पुत्र के सहयोग का आश्रित बन जाने से, उसके, यह गुण कहाँ रह जाते हैं? निसियास, ईसाइयों के सच्चे ईश्वर का परिहास