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अहङ्कार


दिया। यदि तुम देवताओं की प्रकृति, न्याय और सर्वव्यापी नियमों से इतने अपरिचित हो तो तुम्हारी दशा पर जितना खेद किया जाय उतना कम है।

ज़ेनाथेमीज़-मित्रो, मेरा तो भलाई और बुराई, सुकर्म और अकर्म दोनों ही की सत्ता पर अटल विश्वास है। लेकिन मुझे यह भी विश्वास है कि मनुष्य का एक भी ऐसा काम नहीं है-चाहे वह जूदा का कपट व्यवहार ही क्यों न हो-जिसमें मुक्ति का साधन, बीजरूप में, प्रस्तुत न हो। अधर्म मानवजाति के उद्धार का कारण हो सकता है, और इस हेतु से, वह धर्म का एक अंश है और धर्म के फल का भागी है। ईसाई धर्म ग्रंथों में इस विषय की बड़ी सुन्दर व्याख्या की गई है। ईसू के एक शिष्य ही ने उनका शांति-चुम्बन करके उन्हें पकड़ा दिया। किन्तु ईसू के पकड़े जाने का फल क्या हुआ?

वह सलीब पर खींचे गये और प्राणिमात्र के उद्धार की व्यवस्था निश्चित कर दी अपने रक्त से मनुष्यमात्र के पापों का प्रायश्चित कर दिया। अतएव मेरी निगाह में वह तिरस्कार और घृणा सर्वथा अन्यायपूर्ण और निन्दनीय है जो सेन्ट पॉल के शिष्य के प्रति लोग प्रगट करते हैं। वह यह भूल जाते हैं कि स्वयं मसीह ने इस चुम्बन के विषय में भविष्यवाणी की थी जो उन्हीं के सिद्धान्तों के अनुसार मानवजाति के उद्धार के लिए आवश्यक था, और यदि जूदा ने तीस मुद्रायें न ली होतीं तो ईश्वरीय व्यवस्था में बाधा पड़ती, पूर्वनिश्चित घटनाओं की शृंखला टूट जाती, दैवी विधानों में व्यतिक्रम उपस्थित हो जाता और संसार में अविद्या, अज्ञान और अधर्म की तूती बोलने लगती।

(अनुवादक-यह माना हुआ सिद्धान्त है कि बुराई से भलाई होती है। कैकेयी को नाहक इतना बदनाम किया जाता है।