पृष्ठ:अहंकार.pdf/१४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२१
अहङ्कार


वर्तमान रूप का रहस्य बतला सकता हूँ। हेलेन हमारे समीप ही बैठी हुई है। हम सब उसे देख रहे हैं। तुम लोग उस रमणी को देख रहे हो जो अपनी कुरसी पर तकिया लगाये बैठी हुई है,-

आँखों में आँसू की बूँदें मोतियों की तरह झलक रही हैं, और अधरों पर अतृप्त प्रेमकी इच्छा ज्योत्सना की भाँति छाई हुई है। यह वही स्त्री है। वही अनुपम सौन्दर्य्य वाली योनिया, वही विशाल-रूप-धारिणी हेलेन, इस जन्म में मन-मोहिनी थायस है!

फ़िलिना-कैसी बाते करते हो, कलिक्रान्त? थायस ट्रोजन की लड़ाई में! क्यों थायस तुमने एशिलीम अजाक्स, पेरिस आदि शूर वीरों को देखा था। उस समय के घोड़े बड़े होते थे।

एरिस्टाबोलस-घोड़ों की बातचीत कौन करता है? मुझसे करो। मैं इस विद्या का अद्वितीय ज्ञाता हूँ।

चेरियास ने कहा-मैं बहुत पी गया! और वह मेज़ के नीचे गिर पड़ा।

कलिक्रांत ने प्याला भर कर कहा-जो पीकर गिर पड़े उस पर देवताओं का कोप हो।

वृद्ध कोटा निद्रा में मग्न थे।

डोरियन थोड़ी देर से बहुत व्यग्र हो रहे थे। आँखें चढ़ गई थीं और नथने फूल गये थे। वह लड़खड़ाते हुए थायस की कुरसी के पास आकर बोले-

थायस, मैं तुमसे प्रेम करता हूँ, यद्यपि प्रेमासक्त होना बड़ी निन्दा की बात है।

थायस-तुमने पहले क्यों मुझ पर प्रेम नहीं किया?

डोरियन-तब तो पिया ही न था।

थायस-मैंने तो अब तक नहीं पिया, फिर तुम से प्रेम कैसे करूँ।