सहसा यूक्राइटीज़ उठा और निसियास के कन्धे पर हाथ रख कर उसे दूसरे कमरे के दूसरे सिरे पर ले गया।
उसने मुसकिराते हुए कहा-मित्र, इस समय किस विचार में हो, अगर तुम में अब भी विचार करने की सामर्थ है?
निसियास ने कहा-
मैं सोच रहा हूँ कि स्त्रियों का प्रेम *[१] 'अडानिस' की वाटिका के समान है।
'उससे तुम्हारा क्या आशय है?'
निसियास-क्यों, तुम्हें मालूम नहीं कि स्त्रियाँ अपने आँगन में वीनस के प्रेमी के स्मृतिस्वरूप, मिट्टी के गमलों में छोटे-छोटे पौदे लगाती हैं? यह पौदे कुछ दिन हरे रहते है, फिर मुरझा जाते हैं।
'इसका क्या मतलब है निसियास? यही कि मुरझानेवाली नश्वर वस्तुओं पर प्रेम करना मूर्खता है?'
निसियास ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया-
मित्र, यदि सौंदर्य्य केवल छाया मात्र है, तो वासना भी दामिनी की दमक से अधिक स्थिर नहीं। इसलिए सौंदर्य्य की इच्छा करना पागलपन नहीं तो क्या है? यह बुद्धि-संगत नहीं है। जो स्वयं स्थायी नहीं है उसका भी उसी के साथ अन्त हो जाना, अस्थिर है। दामिनी खिसकती हुई छाँह को निगल जाय, यही अच्छा है।
यूक्राइटीज़ ने ठंडी साँस खींचकर कहा-
निसियास, तुम मुझे उस बालक के समान जान पड़ते हो जो
- ↑ * वीनस, यूनान की ललित कलाओं की देवी है और अडानिस उसका प्रेमी है।