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अहङ्कार

यह कह कर उसने अपने हाथों को ऊपर की तरफ़ उठाया और एक पल विचार में मग्न रहा । तब वह आनन्द से उल्लसित होकर बोला--

यूक्राइटीज़, अपने को जीवन से पृथक कर ले, उस पक्के फल की भाँति जो वृक्ष से अलग होकर जमीन पर गिर पड़ता है, उस वृक्ष को धन्यवाद दे जिसने तुझे पैदा किया, और उस भूमि को धन्यवाद दे जिसने तेरा पालन किया!

यह कहने के साथ ही उसने अपने वस्त्रों के नीचे से नंगी कटार निकाली और अपनी छाती से चुभा ली।

जो लोग उसके सम्मुख खड़े ये तुरन्त उसका हाथ पकड़ने दौड़े, लेकिन फौलादी नोक पहले ही हृदय के पार हो चुकी थी। यूकाइटीज़ निर्वाणपद प्राप्त कर चुका था। हरमोडोरस और निसियास ने रक्त में सनी हुई देह को एक पलंग पर लिटा दिया। स्त्रियाँ चीखने लगीं, नींद से चौंके हुए मेहमान गुर्राने लगे। वयोवृद्ध कोटा, जो पुराने सिपादियों की भाँति कुकुरनींद सोता था, जाग पड़ा, शव के समीप आया, घाव को देखा और बोला—

मेरे वैध को बुलाओ—

निसियास,ने निराशा से सिर हिलाकर कहा—

यूकाइदीज़ का प्राशान्त हो यया! और लोगों को जीवन से जितना प्रेम होता है, उतना ही प्रेम इन्हें मृत्यु से था। हम सवों की भाँति इन्होंने भी अपनी परम इच्छा के आगे सिर, झुका दिया, भौर अब वह देवताओं के तुल्प हैं जिन्हें कोई इच्छा नहीं होती!

कोटा ने सिर पीट लिया और बोला—

मरने की इतती जल्दी। अभी तो वह बहुत दिलों तक साम्रा- ज्य की सेवा कर सकते ये। कैसी विडम्बना है!