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अहङ्कार

पापनाशी और थायस पास पास स्वम्भित और अवाश्य बैठे रहे। उनके अन्तःकरण घृणा, भय और आशा से आच्छादित हो रहे थे।

सहसा पापनाशी ने थायस का हाथ पकड़ लिया, और शरा- वियों को फांदते हुए, जो विषय-भोगियों के पास ही पड़े हुए थे, और उस मदिरा और रक्त को पैरों से कुचलते हुए फ़र्श पर वहा हुआ था, वह उसे 'परियों के कुञ्ज' की ओर ले चला।



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