पृष्ठ:अहंकार.pdf/१५

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एक विलास भोगिनी स्त्री के मुख से यह वचन असंगत से जान पड़ते हैं किन्तु जो बड़े से बड़े शराबी है वह शराब के बड़े से बड़े निर्दक देखे जाते हैं। मनुष्य के व्यवहार और विचारों में असाश्य मनोभावों। का एक साधारण रहस्य है। थायस की आत्मविश्वास में भी शान्ति वहीं। अपनी सारी सम्पति को अग्नि की भेंट करने के बाद जब पाप नाशी के साथ चलती है उस समय वह निसियास से कहती है—

'निसियास, मैं सुम जैसे प्राणियों के साथ रहते-रहते तंग आ गई। ......मैं उन सब बातों से उकता गई हूँ जो मुझे ज्ञात है; और अब मैं अज्ञात की खोज में जाती हूँ।'

थायस यहाँ से मरूभूमि के एक महिलाश्रम में प्रविष्ट होती है। और वहाँ आदर्श जीवन का अनुसरण करके वह थोड़े ही दिनों में 'संत' पद को प्राप्त कर लेती है। थायस विलासिनी होने पर भी सरल प्रकृत, दया रमयी है। एक समालोचक ने यथार्थत उसे Immor- al immortal कहा है और बहुत सत्य कहा है। थायस अमर है। यद्यपि थाषस का शव खोद निकाला गया है चेकिन अनायोले फ्रांस ने उससे कहीं बहा काम किया है, उसने थायस को बोलते सुना दिया और अभिनय करते दिखा दिया। पापनाशी के साथ आश्रम को जाते' हुए वह कहती है—

'मैंने ऐसा निर्मल जल नहीं दिया और ऐसी पवित्र वायु में सांस वहीं लिया। मुझे ऐसा जान पड़ता है कि इस चलती हुई वायु में ईश्वर पैर रहा है।'

कितने भक्तिपूर्ण शब्द है।

लेखक ने थायस के चरित्र लेखन में जहाँ इतनी कुशलता दिखाई है वही उसे अस्पन्त मीर बना दिया है, यहाँ तक कि अब उसे पापनाशी के विषय में यहाँपूर्ण विश्वास हो जाता है कि वह मुझे अनन्तजीवन प्रदान कर सकता है, अर्थात यह औषधियाँ जानता है जिनके सेवन से