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अहङ्कार

सुनहरे वस्त्र धारण करती रही, जो संसार के सब से बड़े नरेश की पुत्री है, उसे प्रभु मसीह की दासी का उच्च पद प्राप्त हुआ है। वह अब झोपड़े में रहती है, मोटे वस्त्र पहनती है और कई दिन तक उपवास करती है । वह अब तेरी माता होगी और तुझे अपनी गोद में आश्रय देगी।

थायस चौकी पर से उठ बैठी और बोली—

मुझे इसी क्षण अलबीना के आश्रम में ले चलो।

पापनाशी ने अपनी सफलता पर मुग्ध होकर कहा—

तुझे वहाँ अवश्य ले चलूँगा और वहाँ तुझे एक कुटी में रख दूँगा जहाँ तू अपने पापों का रो रो कर प्रायश्चित्त करेगी, क्योंकि जब तक तेरे पाप आँसुओं से धुल न जायँ तू अलबीना की अन्य पुत्रियों से मिल जुल नहीं सकती और न मिलना उचित ही है । मैं द्वार पर ताला डाल दूँगा, और वहाँ आँसुओं से आर्द्र होकर प्रभु मसीह की प्रतीक्षा करेगी, यहाँ तक कि वह तेरे पापों को क्षमा करने के लिए स्वंय आवेंगे और द्वार का ताला खोलेगे। और थायस, इसमें अणुमान भी सदेह न कर कि वह आयेगे। आह ! जब वह अपनी कोमल, प्रकाशमय उगलियाँ तेरे आँखों पर रखकर तेरे आँसू पोंछेगे, उस समय तेरी आत्मा आनन्द से जैसी पुतकित होगी ! उनके स्पर्शमान से तुझे ऐसा अनुभव होगा कि कोई प्रेम के हिंडोले मे झुला रहा है।

थायस ने फिर कहा—

प्रिय पिता, मुझे अलबीना के घर ले चलो।

पापनाशी का हृदय आनन्द से उत्फुल्ल होगया । उसने चारों तरफ़ गर्व से देखा मानों कोई कंगाल कुवेर का खताना पा गया हो। निश्शक होकर सृष्टि की अनुपम सुषमा का उसने आस्वादन किया। उसकी आँखें ईश्वर के दिये हुए प्रकाश को प्रसन्न होकर