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अहङ्कार

लेकिन पापनाशी जरा भी भयभीत न हुआ। उसने थायस को पकड़ कर खींच लिया, और मेघ की भाँति गरज कर बोला—

ईश्वरद्रोहियो, इस कपोत को ईश्वरीय बाज के चंगुल से छुड़ाने की चेष्टा मत करो। तुम आप जिस आग में जल रहे हो उसमें जलने के लिये उसे विवश मत करो; कि उसकी रीस करो, और उसी की भाँति अपने खोटे को भी खरा कचन धना दो। उसका अनुकरण करो, उसके दिखाये हुये मार्ग पर अग्रसर चनो, और उस ममता को त्याग दो जो तुम्हें बाँधे हुये है, और जिसे तुम समझते हो कि हमारी है। विलम्ब न करो, हिसाब का दिन निकट है और ईश्वर की ओर से वज्रघात होने वाला ही है। अपने पापों पर पछताओ, उनका प्रायश्चित करो, तोबा करो, रोओ और ईश्वर से क्षमा-प्रार्थना करो। थायस के पद- चिह्नों पर चलो। अपनी कुवामनाओं से घृणा करो जो उससे किसी भाँति कम नहीं हैं। तुममें से कौन इस योग्य है, चाहे वह धनी हो या कंगाल, दास हो या स्वामी, सिपाही हो या व्यापारी, जो ईश्वर के सम्मुख खड़ा होकर दावे के साथ कह सके कि मैं किसी वेश्या से अच्छा हूँ? तुम सबके सब सजीव दुर्गन्ध के सिवा और कुछ नहीं हो और यह ईश्वर की महान् दया है कि वह तुम्हे एक क्षण में कीचड़ की मोरियाँ नहीं बना डालता।

जब तक वह बोलता रहा उसकी आँखों से ज्वाला-सी निकल रही थी। ऐसा जान पड़ता था कि उसके मुख से आग के अंगारे बरस रहे हैं। जो लोग वहाँ खड़े थे, इच्छा न रहने पर भी मंत्र- मुग्ध-से खड़े उसकी बातें सुन रहे थे।

किन्तु वह वृद्ध व्यापारी उधम मचाने में अत्यन्त प्रवीण था। वह अब भी शान्त न हुआ। उसने जमीन से पत्थर के टुकड़े और घोंघे चुन लिये, और अपने कुरने के दामन में छिपा लिये,