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अहङ्कार

छोटे-मोटे दुकानदार, सब-के-सब रूपये लूटने के लिए आपस में धींगामुश्ती करने लगे, और सिरोन तथा अन्य भद्र समाज के प्राणी दूर से यह तमाशा देखते थे और हँसते-हँसते लोट जाते थे। स्वय सीरोन का क्रोध शान्त हो गया । उसके मित्रों ने बूटनेवाले प्रतिद्वन्दियों को भड़काना शुरू किया मानो पशुओं को लड़ा रहे हों। कोई कहता था, अब की यह बाज़ी मारेगा, इस पर शर्त बदता हूँ, कोई किसी दूसरे योद्धा का पक्ष लेता था, और दोनों प्रतिपक्षियों में सैकड़ों की हार-जीत हो जाती थी। एक बिना टाँगोंवाले पंगुल ने जब एक मोहर पाया तो उसके साहस पर तालियाँ बजने लगी, यहाँ तक कि सबने उस पर फूल बरसाए । रुपये लुटाने का तमाशा देखते-देखते यह युवक-वृन्द इतने खुश हुए कि स्वयं लुटाने लगे, और एक क्षण में समस्त मैदान में सिवाय पीठों के उठने और गिरने के और कुछ दिखाई ही न देता था, मानो समुद्र की तरगे चाँदी सोने के सिक्कों के तूफ़ान से आन्दोलित हो रही हो। पापनाशी को किसी की सुधि ही न रही।

तब निसियास उसके पास लपककर गया, उसे अपने लबादे में छिपा लिया और थायस को उसके साथ एक पास की गली में खींच ले गया जहाँ विद्रोहियों से उनका गला छूटा। कुछ देर तक तो वह चुपचाप दौड़े लेकिन जब उन्हें मालूम हो गया कि हम काफी दूर निकल आये और इधर कोई हमारा पीछा करने न आयेगा वो उन्होंने दौड़ना छोड़ दिया। निसियास ने परिहास- पूर्ण स्वर में कहा—

लीला समाप्त हो गई। अभिनय का अन्त हो गया। थायस अब नहीं रुक सकती। वह अपने उद्धारकर्ता के साथ अवश्य जायगी, चाहे वह उसे जहाँ ले जाय ।