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अहङ्कार

पीछे-पीछे ईश्वर-कीर्तन करते हुए चले । फ्लेवियन उस संस्था का सब से वृद्ध सदस्य था। वह धर्मोन्मत्त होकर उच्च स्वर यह स्वरचित गीत गाने लगा—

आज का शुभ दिन है,
कि हमारे पूज्य पिता ने फिर हमें गोद में लिया।
वह धर्म का सेहरा सिर से बाँधे हुए आये हैं,
जिसने हमारा गौरव बढ़ा दिया है।
क्योंकि पिता का धर्म ही,
सन्तान का यथार्थ धन है।
हमारे पिता की सुकीर्ति की ज्योति से,
हमारी कुटियों में प्रकाश फैल गया है।
हमारे पिता पापनाशी,
प्रभुमसीह के लिए एक नई दुल्हन लाये हैं।'
अपने अलौकिक तेज और सिद्धि से,
उन्होंने एक काली भेड़ को,
जो अँधेरी घाटियों में मारी-मारी फिरती थी,
उजली भेड़ बना दिया है ।
इस भाँति ईसाई धर्म की ध्वजा फहराते हुए,
वह फिर हमारे ऊपर हाथ रखने के लिए लौट आये हैं।
उन मधु-मक्खियों की भाँति,
जो अपने छत्ते से उड़ जाती हैं,
और फिर जंगलों में से फूलों की
मधु-सुधा लिए हुए लौटती हैं;
न्युबिया के मेष की भाँति,
जो अपने ही ऊन का बोझ नहीं उठा सकता।