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अहङ्कार

हँसता था । पुराना मंदिर इतने दिन ऊजड़ रहने के बाद फिर आबाद हुआ । जहाँ रात-दिन निर्जनता और नीरवता का आधिपत्य रहता था, वहाँ अब जीवन के दृश्य और चिह्न दिखाई देने लगे। हरदम चहल-पहल रहती । भठियारों ने पुराने मन्दिर के तह- खानों के शराबखाने बना दिये और स्वम्भों पर पापनाशी के चित्र लटकाकर उसके नीचे यूनानी और मिस्रो लिपियों में यह विज्ञा- पन लगा दिये—'अनार की शराब, अंजीर की शराब और सिलिसिया की सच्ची जी की शराब यहाँ मिलती है। दुकानदारों ने उन होवारों पर जिन पर पवित्र और सुन्दर बेलबूटे, अकित किये हुए थे, रस्सियों से, गूँथकर प्याज लटका दिये । तली हुई मछलियाँ, मरे हुए खरहे और भेडों की लाशें सजाई हुई दिखाई देने लगीं। सध्या समय इस खण्डहर के पुराने निवासी अर्थात् चूहे, सूफ बाँधकर नदी की ओर दौड़ते और बगुले , संदेहात्मक भाव से गर्दन उठाकर ऊँची कारनिसों पर बैठ जाते; लेकिन चहाँ भी उन्हे पाकशालाओं के धुएँ, शराबियों के शोर-गुल और शराब बेचनेवालों की हाँक-पुकार ,से चैन न मिलता। चारों तरफ कोठीवालों ने सड़कें, मकान, चर्च, धर्मशालाएँ और ऋषियों के आश्रम बनवा दिये। छ: महीने न गुज़रने आये थे कि वहाँ एक अच्छा खासा, शहर बस गया, जहाँ रक्षाकारी विभाग, न्यायालय, कारागार, सभी बन गये, और, एक वृद्ध मुंशी ने एक पाठशाला भी खोल ली। जंगल में मंगल हो गया, ऊसर मे बाग सहराने लगा।

यात्रियों का रात-दिन, ताँता लगा रहता । शनैः शनैः ईसाई धर्म के प्रधान पदाधिकारी भी श्रद्धा के वशीभूत होकर आने लगे। पेन्टियोक का प्रधान जो उस समय संयोग से मिस्र में था अपने समस्त अनुयायियों के साथ आया। उसने पापनाशी के असा