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अहंकार

कहाँ भाग जाने का विचार करता है ? तुझे कहाँ शरण मिलेगी ? तुझे सुन्दर पुष्पों की शोभा में, खजूर के वृक्षों के फलों में, उसकी फलों से लदी हुई डालियों में, कबूतरों के पर में, मृगाओं की छलाँगों में, जल-प्रपातों के मधुर कलरव में, चाँद की मन्द ज्यो- त्सना में, तितलियों के मनोहर रंगों में, और यदि, अपनी आँखें बन्द कर लेगा तो अपने अंतस्तल में, मेरा हो स्वरूप दिखाई देगा। मेरा सौन्दर्य सर्वव्यापक है। एक हजार वर्षों से अधिक हुए कि उस पुरुष ने जो यहाँ महीन कफन में वेष्टित, एक काले पत्थर की शय्या पर विश्राम कर रहा है, मुझे अपने हृदय से लगाया था। एक हफार वर्षों से अधिक हुए कि उसने मेरे सुधा- मय अधरों का अंतिम बार रसास्वादन किया था और उसकी दीर्घ निद्रा अभी तक उसके सुगंध से महक रही है। पापनाशी, तुम मुझे भली भाँति जानते हो? तुम मुझे भूल कैसे गये ! मुझे पहचाना क्यों नहीं ? इसो पर आत्मज्ञानी बनने का दावा करते हो ? मैं थायस के असंख्य अवतारों में से एक हूँ। तुम विद्वान हो और जीवों के सत्व को जानते हो। तुमने बड़ी बड़ी यात्रायें की हैं, और यात्राओं ही से मनुष्य आदमी बनता है, उसके ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है। यात्रा के दिन में बहुधा इतनी नवीन वस्तुएँ देखने में आ जाती है जितनी घर पर बैठे हुए दस वर्ष में भी न आयेंगी। तुमने सुना है कि पूर्वकाल में थायस 'हेलेन' के नाम से यूनान में रहती थी। उसने थीव्स में फिर दूसरा अवतार लिया। मै ही थीव्स की थायस थी। इसका क्या कारण है कि तुम इतना मी न भाँप सके ? पहचानो, यह किसकी क़ब्र है ? क्या तुम बिल्कुल भूल गये कि हमने कैसे कैसे बिहार किये थे? जब मैं जीवित थी तो मैंने इस संसार के पापों का बड़ा भार अपने सिर पर लिया था, और अब केवल आया-