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अहङ्कार

में इसे मिथ्या ही होना चाहिए। यदि ऐसा न होता तो मैं 'विश्वास' करता, केवल ईमान न लाता, बल्कि 'अनुभव' करता, जानता । अनुभव से अनन्त जीवन नहीं प्राप्त होता । ज्ञान हमें मुक्ति नहीं दे सकता। उद्धार करनेवाला केवल विश्वास है। अतः हमारे उद्धार की भित्ति मिथ्या और असत्य है।'

यह सोचते-सोचते वह रुक गया। तर्क उसे न जाने किधर लिये जाता था।

वह इन बिखरे हुए रेशों को दिन भर धूप में सुखाता और राव भर ओस मे भीगने देता। दिन में कई बार वह रेशों को फेरता था कि कहीं सड़ न जायें । अब उसे यह अनुभव करके परम आनन्द होता था कि वह बालकों के समान सरल और निष्कपट हो गया है।

रस्सी बट चुकने के बाद उसने चटाइयाँ और टोकरियाँ बनाने के लिए नरकट काट कर जमा किया। वह समाधि-कुटी एक टोकरी बनानेवाले की दूकान बन गई। और अब पापनाशी जब चाहता ईश-प्रार्थना करता, जब चाहता काम करता; लेकिन इतना संयम और यत्न करने पर भी ईश्वर की उस पर यादृष्टि न हुई। एक रात को वह एक ऐसी आवाज़ सुनकर जाग पड़ा जिसने उसका एक-एक रोआँ खड़ा कर दिया। यह उसी मरे हुए आदमी की आवाज थी जो उसके अन्दर दफ़न था। और कौन बोलनेवाला था?

आवाज़ सायँ-सायँ करती हुई जल्दी-जल्दी यो पुकार रही थी—

'हेलेन, हेलेन, आओ, मेरे साथ स्नान करो!

एक स्त्री ने, जिसका मुँह पापनाशी के कानों के समीप ही जान पड़ता था, उत्तर दिया—