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अहंकार

रख कि तेरे सिवाय मेरा अब कोई नहीं है। तेरे पिता से अब मुझे कोई आशा नहीं है, मैं उसके रहस्य को समझ नहीं सकता, और न उसे मुझ पर दया भाती है। किन्तु तूने एक स्त्री के गर्भ से जन्म लिया है, तूने माता का स्नेह भोग किया है और इसलिए तुझ पर मेरी श्रद्धा है। याद रख कि तू भी एक समय मानव देहधारी था। मैं तेरी प्रार्थना करता हूँ, इस कारण नहीं कि तू ईश्वर का ईश्वर, ज्योति की ज्योति, परम पिता का परम पिता है बल्कि इस कारण कि तूने इस लोक में, जहाँ अब नाना यात नाये भोग रहा हूँ, दरिद्र और दीन प्राणियों का-सा जीवन व्यतीत किया है, इस कारण कि शैतान ने तुझे भी कुवासनाओं के भँवर में डालने की चेष्टा की है, और मानसिक वेदना ने तेरे मुख को भी पसीने से तर किया है। मेरे मसीह, मेरे बन्धु मसीह, मैं तेरी दया का, तेरी मनुष्यता का प्रार्थी हूँ।

जब वह अपने हाथों को मल-मलकर यह प्रार्थना कर रहा था, तो अट्टहास की प्रचंड ध्वनि से कत्र की दीवारें हिल गई, और वही आवाज, जो स्तम्भ के शिखर पर उसके कानों में धाई थी, अपमानसूचक शब्दों मे बोली-

'यह प्रार्थना तो विधर्मी मार्कस के मुख से निकलने के योग्य है ! पापनाशी मी मार्कस का चेला हो गया, वाह वाह ! क्या कहना! पापनाशी विधर्मी हो गया!!

पापनाशी पर मानो वज्राघात हो गया। वह मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा ।

जब उसने फिर आँखें खोली तो उसने देखा कि तपस्वी काले कन्टोप पहने उसके चारों ओर खड़े हैं, उसके मुखपर पानी के छींटे दे रहे हैं और उसकी झाड़-फूंक, यंत्र-मंत्र में लगे