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अहङ्कार

हुए हैं। कई और आदमी हाथों में खजूर की डालियाँ-लिये बाहर खड़े हैं।

उनमें से एक ने कहा—

हम लोग घर से होकर जा रहे थे तो हमने इस क़ब्र से चिल्लाने की आवाज निकलती हुई सुनी, और जब अंदर आये तो तुम्हें पृथ्वी पर अचेत पड़े देखा। निस्सदेह प्रेतों ने तुम्हें पछाड़ दिया था, और हमको देखकर भाग खड़े हुए।

पापनाशी ने सिर उठाकर क्षीण स्वर में पूछा—

'बन्धुवर्ग, आप लोग कौन हैं । आप लोग क्यों खजूर की डालियाँ लिये हुए हैं ? क्या मेरी मृतक-क्रिया करने को नहीं आये है।

उनमे से एक तपस्वी बोला—

बन्धुवर, क्या तुम्हें खबर नहीं कि हमारे पूज्य पिता एन्टोनी, जिनकी अवस्था अब एक सौ पाँच वर्षों की हो गई है, अपने अंतिम काल को सुचना पाकर उस पवन से उतर आये हैं जहाँ वह एकान्त-सेवन कर रहे थे ? उन्होंने अपने अगणित शिष्यों और भक्तों को जो उनकी आध्यात्मिक सताने हैं आशी- र्वाद देने के निमित्त यह कष्ट उठाया है। हम खजूर की डालियाँ लिये (जो शान्ति की सूचक हैं) अपने पिता की अभ्यर्थना करने जा रहे हैं। लेकिन बन्धुवर, यह क्या बात है कि तुमको ऐसी महान् घटना की खबर नहीं ! क्या यह सम्भव है कि कोई देवदूत यह सूचना लेकर इस क़ब्र में नहीं आया ?

पापनाशी बोला—

आह ! मेरी कुछ न पूछो। मैं अब इस कृपा के योग्य नहीं हूँ और इस मृत्युपुरी में, प्रेतों और पिशाचों के सिवा और कोई नहीं रहता। मेरे लिए ईश्वर से प्रार्थना करो। मेरा नाम

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