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अहङ्कार

हुआ कि वह महात्मा इस मूर्ख और पागल आदमी से बातें कर रहे है। अतएव उनकी शंका समाधान करने के लिए उन्होंने कहा—

ईश्वर ने इस व्यक्ति पर जितनी वत्सलता प्रगट की है उतनी तुममें से किसी पर नहीं की। पुत्र पॉल, अपनी आँखें ऊपर उठा और मुझे बतला कि तुम स्वर्ग में क्या दिखाई देता है ?

बुद्धिहीन पॉल ने आँखें उठाई। उसके मुख पर तेज छा गया और उसकी वाणी मुक्त हो गई। बोला—

मैं स्वर्ग में एक शय्या बिछी हुई देखता हूँ जिसमें सुनहरी और बैंगनी चादरें लगी हुई हैं। उसके पास तीन देवकन्याएँ बैठी हुई बड़ी चौकसी से देख रही हैं कि कोई अन्य आत्मा उसके निकट न पाने पाये। जिस सम्मानित व्यक्ति के लिए शय्या बिछाई गई है उसके सिवाय कोई निकट नहीं जा सकता।

पापनाशी ने यह समझकर कि यह शय्या उसकी सद्कीर्ति की परिचायक है, ईश्वर को धन्यवाद देना शुरू किया। किन्तु संत ऐन्टोनी ने उसे चुप रहने और मूर्ख पॉल की बातों को सुनने का संकेत किया। पॉल उसी आत्मोल्लास की धुन में बोला—

तीनों देवकन्यायें मुझसे बातें कर रही हैं। वह मुझसे कहती हैं कि शीघ्र ही एक विदुषो मृत्युलोक से प्रस्थान करने वाली है । इस्कन्द्रिया की थायस मरणासन्न है; और हमने यह शय्या उसके बादर-सत्कार के निमित्त तैयार की है क्योंकि हम तीनों उसी की विभूतियाँ हैं। हमारे नाम हैं भक्ति, भय और प्रेम!

ऐन्टोनी ने पूछा—

प्रिय पुत्र, तुझे और क्या दिखाई देता है ?

मूर्ख पॉल ने मध्यान्ह से ऊर्ध तक शून्य दृष्टि से देखा, एक