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अहङ्कार

दुरात्मा, क्या तू मरने के लिए ही बनाया गया है ? क्या तू समझता है कि तू मृत्यु का स्वाद चख सकेगा; जिसने अभी जीवन का मर्म नहीं जाना, वह मरना क्या जाने ? हाँ, अगर ईश्वर है, और मुझे दण्ड दे तो मैं मरने को तैयार हूँ । सुनता है ओ ईश्वर, मैं तुमसे घृणा करता हूँ, सुनता है ? मैं तुझे कोसता हूँ। मुझे अपने अग्नि-व्रजों से भस्म कर दे, मैं इसका इच्छुक हूँ, यह मेरी बड़ी अभिलाषा है; तू मुझे अग्निकुण्ड में डाल दे । तुझे उत्तेजित करने के लिए, देख, मैं तेरे मुख पर थूकता हूँ। मेरे लिए अनन्त नरकवास की जरूरत है। इसके बिना यह अपार क्रोध शान्त न होगा जो मेरे हृदय में भटक रहा है।

दूसरे दिन प्रातःकाल अलबीना ने पापनाशी को अपने आश्रम में खड़े पाया। वह उसका स्वागत करती हुई बोली—

पूज्य पिता, हम अपने शान्ति-भवन में तुम्हारा स्वागत करते हैं, क्योंकि आप अवश्य ही उस विदुषी की आत्मा को शान्ति प्रदान करने आये हैं जिसे आपने यहाँ आश्रय दिया है। आपको विदित होगा कि ईश्वर ने अपनी असीम कृपा से उसे अपने पास बुलाया है । यह समाचार आपसे क्योंकर छिपा रह सकता था जिसे स्वर्ग के दूतों ने मरुस्थल के इस सिरे से उस सिरे तक पहुँचा दिया है ? यथार्थ में थायस का शुभ अंत निकट है। उसके आत्मोद्धार की क्रिया पूरी हो गई और मैं सूक्ष्मतः आप पर यह प्रगट कर देना उचित समझची हूँ कि जब तक वह यहाँ रही, उसका व्यवहार और आचरण कैसा रहा। आपके चले जाने के पश्चात् जब वह आपकी मुहर लगाई हुई कुटी में एकान्त-सेवन के लिए रखी गई, तो मैंने उसके भोजन के साथ एक बाँसुरी भी भेज दी, जो ठीक इसी प्रकार की थी जैसी नर्तकियाँ भोज के अवसरों पर बजाया करती हैं। मैंने यह व्यवस्था इसलिए की