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अहङ्कार

स्वरूप आत्मा का संहार करता था, यही उसका उद्धार करेगा।

पापनाशी अल्बीना के पीछे-पीछे आँगन में गया जो सूय के प्रकाश से आच्छादित हो रहा था। ईटों की छत के किनारों पर श्वेत कपोतों की एक मुक्ता-माला सी बनी हुई थी। अंजीर के वृक्ष की छाँह में एक शैया पर थायस हाथ पर हाथ रखे लेटी हुई थी। उसका मुख श्रीविहीन हो गया था। उसके पास कई स्त्रियाँ मुँह पर नकाब डाले खड़ी अन्तिम संस्कार-सूचक गीत गा रही थी—

'परम पिता, मुझ दीन प्राणी पर
अपनी सप्रेम वत्सलता से दया कर।
अपनी करुणा दृष्टि से
मेरे अपराधों को क्षमा कर ।'

पापनाशी ने पुकारा—

थायस!

थायस ने पलकें उठाई और अपनी आँखों की पुतलियाँ उस कंठ-ध्वनि की ओर फेरी।

अल्बीना ने देवकन्याओं को पीछे हट जाने की आज्ञा दी, क्योंकि पापनाशी पर उनकी छाया पड़नी भी धर्मविरुद्ध थी।

पापनाशी ने फिर पुकारा—

थायस!

उसने अपना सिर धीरे से उठाया। उसके पीले ओठों से एक हल्की सांस निकल आई।

उसने क्षीण स्वर में कहा—

पिता, क्या आप हैं।...आपको याद है कि हमने सोते से पानी पिया था और छुहारे तोड़े थे !...पिता, उसी दिन मेरे हृदय में प्रेम का अभ्युदय हुआ-अनन्त जीवन के प्रेम का।