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अहङ्कार

कमख्वाब के बूटों में फूलों और पशुओं के चित्र बने हुए थे। दोनों युवतियों ने उसे खोलकर उसका भड़कीला रंग दिखाया और प्रतीक्षा करने लगी कि पापनाशी अपना ऊनी लबादा उतारे' तो पहनायें । लेकिन पापनाशी ने जोर देकर कहा यह कदापि नहीं हो सकता । मेरी खाल चाहे उतर जाय पर यह ऊनी लबादा नहीं उतर सकता । विवश होकर उन्होंने उस बहुमूल्य वस्त्र को जबादे के ऊपर ही पहना दिया। दोनों युवतियाँ सुन्दरी थी, और वह पुरुषों से शरमाती न थी। वह पापनाशी को इस दुरंगे भेष मे देखकर खूब हँसी । एक ने उसे अपना प्यारा सामन्त कहा, दूसरीने उसकी दाढ़ी खींच ली। लेकिन पापनाशी नेछन परं दृष्टिपात तक न किया । सुनहरे खड़ाऊँ पैरों में पहनकर और थैली कमर में बांधकर उसने निसियास से कहा, जो विनोद भाव से उसकी ओर देख रहा था।

'निसियास, इन वस्तुओं के विषय में कुछ सन्देह मत करना क्योंकि मैं इनका सदुपयोग करूंगा।

निसियास बोला-प्रिय मित्र, मुझे कोई सन्देह नहीं है क्योंकि मेरा विश्वास है कि मनुष्य में न भले काम' करने की क्षमता है न बुरे । भलाई या बुराई का आधार केवल प्रथा पर. है। मैं उन सब कुत्सित व्यवहारों का पालन करता हूँ जो इस नगर में प्रचलित हैं। इसलिए मेरी गणना सज्जन पुरुषों में है। अच्छा, मित्र, अब जामो और चैन करो।।

लेकिन पापनाशी ने उससे अपना उद्देश्य प्रगट करना आवश्यक समझा । बोला-तुम थायस को जानते हो जो यहाँ की रंगशालाओं का श्रृंगार है।

निसियास ने कहा-वह परम सुन्दरी है और किसी समय मैं उसके प्रेमियों में था। उसकी खातिर मैंने एक कारखाना और