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अहङ्कार

थी। सब पत्तियाँ छिद गईं। फीडरा की प्रेम-कथा तो तुम जानते ही होगे। अपने प्रेमी का सर्वनाश करने के पश्चात वह स्वयं गले में फाँसी डाल, एक हाथीदांत की खूटी से लटक कर मर गई। देव- ताओं की ऐसी इच्छा हुई, की फ़ीडरा के असह्य विरहवेदना के चिन्ह- स्वरूप इस वृक्ष की पत्तियों में नित्य छेद होते रहे । मैंने एक पत्ती तोड़ ली और लाकर उसे अपने पलँग के सिरहाने लटका दिया कि वह मुझे प्रेमकी कुटिलता को याद दिलाती रहे, और मेरे गुरु, अमर एपिक्युरस के सिद्धान्तों पर अटल रखे, जिसका उद्देश्य था कि कुवासना से डरना चाहिए। लेकिन यथार्थ में प्रेम जिगरका एक रोग है और कोई यह नहीं कह सकता कि यह रोग मुझे नहीं लग सकता।

पापनाशी ने प्रश्न किया—डोरियन, तुम्हारे आनन्द के विपय क्या है?

डोरियन ने खेद से कहा—मेरे आनन्द का केवल एक विषय है, और वह भी बहुत आकर्षक नहीं। वह ध्यान है। जिसकी पाचनशक्ति, दूषित हो गई हो इसके लिए आनन्द का और क्या विषय हो सकता है।

पापनाशी को अवसर मिला कि वह इस आनन्दवादी को आध्यात्मिक सुख की दीक्षा दे जो ईश्वराधना से प्राप्त होता है। बोला—मित्र डोरियन, सत्य पर कान धरो, और प्रकाश ग्रहण करो!

लेकिन सहसा उसने देखा कि सब की आँखें मेरी तरफ़ उठी हैं और लोग मुझे चुप रहने का संकेत कर रहे हैं। नाट्यशाला में पूर्ण शान्ति स्थापित हो गई, और एक क्षण मे वीर गान की ध्वनि सुनाई दी।

खेल शुरू हुआ,होमर की. इलियड का एक दुःखान्त दृश्य था।