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अहङ्कार

ट्रोजन युद्ध समाप्त हो चुका था। यूनान के विजयी सूरमा अपनी छोलदारियों से निकल कर कूच की तैयारी कर रहे थे कि एक अदुत्त घटना हुई। रंग-भूमि के मध्यस्थित समाधि पर बादलों का एक टुकड़ा छा गया। एक क्षण के बाद बादल हट गया और एशिलीस का प्रेव सोने के शस्त्रों से सजा हुआ, प्रगट हुआ। वह योद्धाओं की ओर हाथ फैलाये मानों कह रहा है, हेलास के सपूतो, क्या तुम यहाँ से प्रस्थान करने को तैयार हो? तम उस देश को जाते हो जहाँ जाना मुझे फिर नसीब न होगा और मेरी समाधि विना कुछ भेंट किये ही छोड़े जाते हो!

यूनान के वीर सामन्त, जिनमें वृद्ध नेस्टर, अगामेमनन, उताइलेस आदि थे, समाधि के समीप आकर इस घटना को देखने लगे। पिर्रस ने जो एशिलीस का युवक पुत्र था, भूमि पर मस्तक झुका दिया। उलीस ने ऐसा संकेत किया जिसमें विदित होता था कि वह मृत-आत्मा की इच्छामे महमत है। उसने अगा- मेमनन से अनुरोध किया-हम सबों को एशिलीस का यश मानना चाहिए क्योंकि हेलास ही की मानरक्षा में उसने वीरगति पाई है। उसका आदेश है कि प्रायम की पुत्री, कुमारी पालिक्सेना मेरी समाधि पर समर्पित की जाय! यूनान-वीरो, अपने नायक का आदेश स्वीकार करो।

किन्तु सम्राट आगामेमनन ने आपत्ति की—ट्रोजन की कुमा- रियों की रक्षा करो। प्रायम का यशस्वी परिवार बहुत दुःख भोग चुका है।

उसके आपत्ति का कारण यह था कि वह उलाइसेस के अनुरोध से सहमत है। निश्चय हो गया कि पालिक्सेना एशिलीस को बलि दी जाय। मृत आत्मा इस भाँति शान्त होकर यमलोक को चली गई। चरित्रों के वार्वालाप के बाद कभी उत्तेजक और