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अहङ्कार

जादू डाल। अपने रूपलावण्य, अपने यौवन और अपने अश्रु- प्रवाह का आश्रय ले।

थायस, या कुमारी पालिक्सेना ने छोलदारी का परदा गिरा दिया। तब उसने एक कदम आगे बढ़ाया। लोगों के दिल हाथ से निकल गये। और जब वह गर्व से वालों पर कदम उठाती हुई उलाइसेस की ओर चली तो दर्शकों को ऐसा मालूम हुआ मानों वह सौदर्य्य का केन्द्र है। कोई आपे में न रहा। सबकी आँखें उसी की ओर लगी हुई थीं। अन्य सभी का रंग उसके सामने फीका पड़ गया। कोई उन्हें देखता भी न था।

उलाइसेस ने मुँह फेर लिया और अपना मुँह चादर में छिपा लिया कि इस दयाभिखारिनीके नेत्र-कटाक्ष और प्रेमालिंगन का जादू उस पर न चले। पालिसेना ने उससे इशारों से कहा—मुझसे क्यों डरते हो? मैं तुम्हें प्रेमपाश मे फँसाने नहीं आई हूँ। जो अनिवार्य्य है, वह होगा। उसके सामने सिर झुकाती हूँ। मृत्यु का मुझे भय नहीं है। प्रायम की लड़की और वीर हेक्टर की बहन, इतनी गई गुजरी नही है कि उसकी शैय्या, जिसके लिए बड़े-बड़े सम्राट लालायित रहते थे, किसी विदेशी पुरुष का स्वागत करे। मैं किसी की शरणागत नहीं होना चाहती।

हेक्युबा जो अभी तक भूमि पर अचेत-सी पड़ी थी सहसा उठी और अपनी प्रिय पुत्री को छाती से लगा लिया। यह उसका अन्तिम, नैराश्यपूर्ण आलिंगन था! पतिवञ्चित मातृदय के लिए संसार में कोई अवलम्ब न था। पालिक्सेना ने धीरे से माता के हाथों से अपने को छुड़ा लिया, मानों उससे कह रही थी—

माता, धैर्य्य से काम लो। अपने स्वामी की आत्मा को दुखी मत करो। ऐसा क्यों करती हो कि यह लोग निर्दयता से जमीन पर गिराकर मुझे अलग कर ले?