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अहङ्कार

हो गया है? तुमने अभी जो श्य देखा है वह केवल एक रूपक । उस कथा का आध्यात्मिक अर्थ कुछ और ही है, और यह स्त्री थोड़े ही दिनों में अपनी स्वेच्छा और अनुराग से, ईश्वर के चरणों में समर्पित हो जायगी।

इसके एक घण्टे बाद पापनाशी ने थायस के द्वार पर जंजीर खटखटाई।

थायस उस समय रईसों के मुहल्ले में, सिकन्दर की समाधि के निकट रहती थी। उसके विशाल भवन के चारों ओर साये- धार वृक्ष थे, जिनमें से एक जलधारा कृत्रिम चट्टानों के बीच से होकर बहती थी। एक बुढ़िया इन्शिन दासी ने जो मुंद्रियों से लदी हुई थी, आकर द्वार खोल दिया और पूछा—क्या आज्ञा है।

पापनाशी ने कहा—मैं थायस से भेंट करना चाहता हूँ। ईश्वर साक्षी है कि मैं यहाँ इसी काम के लिए आया हूँ।

वह अमीरों के से वस्त्र पहने हुए था और उसकी बातों से रोष टपकता था। अतएव दासी उसे अन्दर ले गई। और बोली—थायस परियों के कुल में विराजमान है।



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