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अहङ्कार

दूतों के भजन इस लिए गाता हूँ कि हमारे प्रभु मसीह स्वर्गलोक में को उड़ गये है।

अहमद ईसाई था। उसकी यथोचित्त रीति से दीक्षा हो चुकी थी और ईसाइयों के समाज में उसका नाम भी थिओंडोरा प्रसिद्ध था। वह रातों को छिपकर अपने सोने के समय में उनकी संगतों में शामिल हुआ करता था।

उस समय ईसाई धर्म पर विपत्ति की घटायें छाई हुई थीं। रूस के बादशाह की आज्ञा से ईसाइयों के गिरजे खोदकर फेंक दिये गये थे, पवित्र पुस्तके जला डाली गई थी और पूजा की सामग्रियाँ लूट ली गई थी। ईसाइयों के सम्मान-पद छीन लिये गये थे और चारों ओर उन्हें मौत ही मौत दिखाई देती थीं। इस्कृन्द्रिया में रहने वाले ससस्त ईसाई समाज के भारतीय संकट में थे जिसके विषय में ईसावलम्बी होने का जरा भी सन्देह होता उसे तुरन्त कैद में डाल दिया जाता था। सारे देश में इन खबरों से हाहाकार मचा हुआ था कि स्थाम, अरब, ईरान आदि स्थानों में ईसाई विशयों और अवधारिणी कुमारियों को कोड़ें मारे गये हैं, शूनी दी गई है और जंगल के जानवरों के सामने डाल दिया गया है। इस दारुण विपत्ति के समय जब ऐसा, निश्चय हो रहा था कि ईसाइयों का नाम निशान भी न रहेगा एन्थोनी ने अपने एकान्तवास से निकलकर मानों मुरझाये हुए धान में पानी डाल दिया। एन्थोनी मिश्र निवासी ईसाइयों का नेता, विद्वान्, सिद्ध पुरुष था, जिसकी अलौकिक कृत्यों की खबरें दूर-दूर तक फैली हुई थी। वह आत्म-ज्ञानी और तपस्वी था। उसने समस्त देश में भ्रमण करके ईसाई सम्प्रदाय मात्र को श्रद्धा और धर्मोत्साह से प्लाबित कर दिया। विधर्मियों से गत रहकर यह एक ही समय में ईसाइयों की समस्त सभाओ में पहुँच जावा