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अहङ्कार

प्रभु मसीह ने अपने पूज्य पिता की आज्ञा मान ली और पाकर वेथलेहेम नगर में अवतार लिया। वह खेतों और जंगलों में फिरते थे और अपने साथियों से कहते थे—मुबारक है के लोग जो भूखे रहते हैं, क्योंकि मैं उन्हें अपने पिता की मेज़ पर खाना खिलाऊँगा। मुबारक हैं वे लोग जो प्यासे रहते हैं क्योंकि वह स्वर्ग की निर्मल नदियों का जल पियेंगे और मुवारक हैं वे जो रोते हैं, क्योंकि मैं अपने दामन से उनके आँसू पोछुँगा!

यही कारण है कि दीन-हीन प्राणी उन्हें प्यार करते है और उन पर विश्वास करते हैं। लेकिन धनी लोग उनसे डरते हैं कि कहीं यह गरीबों को उनसे ज्यादा धनी न बना दें। उस समय क्लियोपेटरा और सीजर पृथ्वी पर सबसे बलवान् थे। वे दोनों ही मसीह से जलते थे इसीलिए पुजारियों और न्यायाधीशों को हुक्म दिया कि प्रभु मसीह को मार डालो। उनकी आज्ञा से लोगों ने एकसलीप खड़ी की और प्रभु को सूली पर चढ़ा दिया । किन्तु प्रभु मसीह ने अपने कम के द्वार को तोड़ डाला और फिर अपने पिता ईश्वर के पास चले गये।

उसी समय से प्रभु मसीह के भक्त स्वर्ग को जाते हैं। ईश्वर प्रेम से उनका स्वागत करता है और उनसे कहता है—आयो, मैं तुम्हारा स्वागत करता हूॅ क्योंकि तुम मेरे बेटे को प्यार करते हो। हाथ धोकर भेज पर बैठ जाओ। तब स्वर्ग की अप्सरायें गाती हैं और जब तक मेहमान लोग भोजन करते हैं नाच होता रहता है। इन्हें ईश्वर अपनी आँखों की ज्योति से भी अधिक प्यार करता है, क्योंकि वे उसके मेहमान होते हैं और उनके विश्राम के लिए अपने भवन के ग़लीचे और उनके स्वादन के लिये अपने बाग का अनार प्रदान करता है।

अहमद इस प्रकार थायस से ईश्वर-चर्चा करता था। वह