पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
( ३ )


वासी" अर्थात् रहने वाला होता है। खंडोजी होल गाँव में निवास करने लगे थे, इसी कारण इनका नाम “खंडोजी होलकर" कहलाने लगा। किसी किसी का यह भी मत है कि "हलकर” अर्थात् "हलकर्षण" का अपभ्रंश होकर यह शब्द "होलकर" बन गया है। "हलकर" तथा हलकर्षण उन मनुष्यों के व्यवसाय का परिचय देता है, जो खेती का धंधा करते हों; परंतु यथार्थ में जो कुछ हो "होलकर" यह शब्द होल नामक गाँव में रहने ही के कारण पड़ा। जैसे नाशिक के रहनेवाले "नाशिककर” और पूना के रहनेवाले “पूनेकर" आज दिन भी कहलाते हैं, उसी प्रकार "होलकर" यह नाम भी "होल" गाँव में रहने ही से पड़ा इसमें कोई संदेह नहीं।

मल्हारराव होलकर का जन्म इसवी सन् १६९४ में हुआ था। जब ये चार वर्ष के हुए तब इनके पिता खंडोजी फा स्वर्गवास हो गया और मल्हारराव की माता पतिविहीना होने से नाना प्रकार की आपत्तियों में उलझकर दुःखरूपी सागर में गोते खाने लगीं, और वैधव्यावस्था के कारण इनके कुटुंब के लोग नाना प्रकार से उन्हें त्रास देने लगे, निदान इन्होंने दुःख से ऊब जाने पर अपने भाई भोजराज के यहां ही निवास करना निश्चय किया, और अपने एकमात्र पुत्र के साथ में लेकर वे तलोंदे चली गई।

भोजराज सुलतानपुर परगने के तलोंदे नामक गाँव में रहते थे और अपना निर्वाह खेती द्वारा करते थे। भोजराज ने अपनी बहिन और भानजे को निराश्रित देखकर अपनी बहन को नाना प्रकार से धीरज दिलाकर समझाया और