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रमला
 


दिया और युवक को आश्चर्य से देखने लगी। युवक घबड़ा कर बोला——"कौन! रमला?"

"हाँ मंजल!"

युवक की साँस भारी हो चली।

उसने कहा——"रमला, मुझे क्षमा करो, मैंने तुम्हें......"

"हाँ धक्का देकर गिरा दिया था। तब भी मैं बच गई।"

युवक ने सोये हुए मनुष्य की ओर देखकर पूछा——"वह तुम्हारा कौन है?"

"रमला ने रुकते हुए उत्तर दिया——"मेरा--कोई नहीं।"

"तब भी यह है कौन?"

"रमला झील का जल-देवता।"

युवक एक बार झनझना गया।

उसने पूछा——तुम क्या फिर चली जाओगी रमला?"——उसके कण्ठ में बड़ी कोमलता थी।

"तुम जैसा कहो"——रमला जैसे बेबसी से बोली।

युवक——"अच्छा जाओ पहले नहा-धो लो"——कहता हुआ घोड़े पर चढ़ कर चला गया। रमला सलज उठी——गाँव की पोखरी की ओर चली।

उसके जाते ही साजन जैसे जग पड़ा। एक बार अँगड़ाई ली और उठ खड़ा हुआ। जिस पथ से आया था उससे लौटने लगा।

XXX

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