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आकाश-दीप
वह अश्वारोही अवाक् खड़ा था। बुढ़िया के प्राण-पक्षी अनन्त में उड़ गये।
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वहाँ एक अष्टकोण मंदिर बना, और उस पर शिलालेख लगाया गया---
'सातो देश के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने उनकी स्मृति में यह गगनचुम्बी मन्दिर बनाया।"
पर उसमें ममता का कहीं नाम नहीं।
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