पृष्ठ:आकाश -दीप -जयशंकर प्रसाद .pdf/३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
आकाश-दीप
 

वह अश्वारोही अवाक् खड़ा था। बुढ़िया के प्राण-पक्षी अनन्त में उड़ गये।

×
×
×

वहाँ एक अष्टकोण मंदिर बना, और उस पर शिलालेख लगाया गया---

'सातो देश के नरेश हुमायूँ ने एक दिन यहाँ विश्राम किया था। उनके पुत्र अकबर ने उनकी स्मृति में यह गगनचुम्बी मन्दिर बनाया।"

पर उसमें ममता का कहीं नाम नहीं।

_________

--- २६ ---