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स्वर्ग के खँड़हर में
 


स्वर्गीय प्रेम में भी जलन! बहार तिनक कर चली गई; मीना? यह पहले ही हट रही थी; तो फिर क्या जलन ही स्वर्ग है?"

गुल को उस युवक के हताश होने पर दया आ गई। यह भी स्मरण हुआ कि वह अतिथि है। उसने कहा---"कहिये, आपकी क्या सेवा करूँ? मीना का गान सुनियेगा? वह स्वर्ग की रानी है!"

युवक ने कहा---"चलो!"

द्राक्षा-मंडप में दोनों पहुँचे। मीना वहाँ बैंठी हुई थी। गुल ने कहा---"अतिथि को अपना गान सुनाओ।"

एक निःश्वास लेकर वह वही बुलबुल का संगीत सुनाने लगी। युवक की आँखें सजल हो गईं। उसने कहा---"सचमुच तुम स्वर्ग की देवी हो?"

"नहीं अतिथि, मैं उस पृथ्वी की प्राणी हूँ---जहाँ कष्टों की पाठशाला है, जहाँ का दुःख इस स्वर्ग-सुख से भी मनोरम था, जिसका अब कोई समाचार नहीं मिलता"---मीना ने कहा।

"तुम उसकी एक करुण-कथा सुनना चाहो, तो मैं तुम्हें सुनाऊँ!" युवक ने कहा।

"सुनाइये"---मीना ने कहा।

युवक कहने लगा---

"वाह्लीक, गांधार, कपिशा और उद्यान, मुसलमानों के

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