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[ तीसरा
आदर्श महिला

दिया। तब हंस ने सन्तुष्ट होकर कहा---"महाराज! आपने दया करके मुझे छोड़ दिया है, मैं भी एहसान का बदला चुकाने का भरसक उपाय करूँगा। महाराज! आप अब तक क्वाँरे हैं।गृहस्थाश्रम-वाले पुरुषों के लिए विवाह बड़ा बढ़िया काम है। स्त्री के हृदय की शीतलता से पुरुष का कर्तव्य-कठोर हृदय मुलायम हो जाता है। स्त्री का आत्मदान, स्त्री की सुन्दरता संसार-युद्ध में पुरुष को बलवान् बना देती है। महाराज! आपको शीघ्र विवाह कर लेना चाहिए, किन्तु आपके लायक स्त्री तो संसार में दुर्लभ है। महाराज! मैं उत्तर में मानसरोवर से लेकर दक्षिण में महासमुद्र के किनारे भगवती कुमारी देवी के मन्दिर तक समूचे भारतवर्ष में घूमा करता हूँ। मैंने देखा है कि विदर्भराज की कन्या दमयन्ती ही आपकी रानी होने के योग्य है।" यह कहकर हंस, अचरज से चुपचाप बैठे हुए, राजा के सामने दमयन्ती के रूप और गुण की प्रशंसा करने लगा। महाराज नल के चित्त पर स्त्री के मधुर हृदय की छाया पड़ी। उन्होंने सोचा कि विधाता ने न जाने कैसी अपूर्व सुन्दरता से उस सुन्दरी दमयन्ती की रचना की है।

महाराज नल का गुण गाता हुआ हंस तुरन्त आकाश में उड़कर दक्षिण की ओर चला गया! यह हाल देखकर राजा को बड़ा अचरज हुआ।

[ २ ]

जकल जिस स्थान का नाम बरार है वह पहले समय में विदर्भ कहलाता था। वहाँ भीम नाम के एक राजा राज्य करते थे। कुण्डिननगरी उनकी राजधानी थी।

राजा भीम प्रजा को प्राण से भी प्यारी समझते थे। उनकी ममता से और सुविचार से प्रजा को ज़रासा भी कष्ट नहीं होने पाता था।