पृष्ठ:आदर्श महिला.djvu/१५१

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आदर्श महिला
 
दमयन्ती गिड़गिड़ा कर बोली—"हे देवताओं! आप लोग धर्म के रक्षक हैं; ऐसी कृपा कीजिए कि जिसमें मेरे सतीधर्म पर दाग़ न लगे"—पृ॰ १३४

इंडियन प्रेस, लिमिटेड, प्रयाग।